sau gulab khile
हम यों भी कभी प्यार की ठोकर में जी गये
कुल उम्र जैसे एक घड़ी भर में जी गये
इस ज़िंदगी में एक यों बेबस तुम्हीं नहीं
पंछी बिना परों भी बवंडर में जी गये
दिल में है वह, नज़र में है कि है नज़र के पार
रातें मिलन की हम इसी चक्कर में जी गये
कैसे बताये आपको पीना है क्या बला !
प्यासे ही रहके हम तो समंदर में जी गये
काँटों से तार-तार था सीना गुलाब का
फिर भी मिलाके रंग महावर में जी गये