sau gulab khile

उन्हें बाँहों में बढ़कर थाम लेंगे
कभी दीवानेपन से काम लेंगे

ग़ज़ल में दिल तड़पता है किसीका
उन्हें कह दो, कलेजा थाम लेंगे

ये माना, ज़िंदगी फिर भी मिलेगी
नहीं हम ज़िंदगी का नाम लेंगे

अँधेरे ही अँधेरे होंगे आगे
पड़ाव अगला जहाँ कल शाम, लेंगे

‘मिला दुनिया से क्या?’ मत पूछ हमसे
तुझीमें, मौत! अब आराम लेंगे

गुलाब ! इस बाग़ की रंगत थी तुमसे
वे किस मुँह से मगर यह नाम लेंगे !