sau gulab khile
जो कहते हैं— ‘हमसे लड़ाई हुई है’
किसीकी लगायी-बुझायी हुई है
कहो प्यार से, छिपके सपनों में आये
अभी रूप को नींद आयी हुई है
न छेड़ो इसे भावना रो पड़ेगी
ये पहले ही से चोट खायी हुई है
हुई थी जिसे बोलने की मनाही
वो बात आज होंठों पे आयी हुई है
कहाँ उनकी महफ़िल, कहाँ मेरी चर्चा !
ये बेपर की किसकी उड़ायी हुई है !
खिलेंगे गुलाब उनकी आँखों में अब तो
सुना, थोड़ी-थोड़ी ललाई हुई है