tujhe paya apne ko kho kar

मेरी तान कहाँ गूँजेगी?
कहा-कहाँ इस तंत्री की धुन रसिकों को सुख देगी?

मंगल साज सजा घर-घर में
भक्तमंडली नगर-नगर में
क्या मेरे गीतों के स्वर में

निज प्रभु को पूजेगी?

या मेरे शब्दों में आँकी
देख परस्पर की प्रिय झाँकी
जोड़ी प्रियतम और प्रिया की

गा-गाकर झूमेगी?

गायक-गण में, सुधी जनों में
दीन-कुटीर, राजभवनों में
क्या यह मिलन-वियोग-क्षणों में

आँसू बन बरसेगी?

मेरी तान कहाँ गूँजेगी?
कहा-कहाँ इस तंत्री की धुन रसिकों को सुख देगी?