tujhe paya apne ko kho kar
मेरे गीत वहीं तुम जाना
जहाँ सराहें सहृदय तुमको, गुणिजन चाहें गाना
जिनमें श्रद्धा, भक्ति नहीं हो
संवेदन की शक्ति नहीं हो
भावुकता, अनुरक्ति नहीं हो
उनसे रुख न मिलाना
जो अग-जग को अपना कर लें
त्याग, तपस्या का पथ धर लें
अत्याचारों से टक्कर लें
उनके चरित सुनाना
मुझे किसी ने कूप रज्जु कर
खींचे जो रस-कलश निरंतर
उन्हें सुरों के प्याले में भर
जन-जन तक पहुँचाना
मेरे गीत वहीं तुम जाना
जहाँ सराहें सहृदय तुमको, गुणिजन चाहें गाना