vyakti ban kar aa
आकाश के पृष्ठ पर लिखा
तारों का आदिकाव्य देखा है!
क्या उसमें भी कोई श्रृंखलाबद्ध
सरल या वर्तुल रेखा है?
फिर मुझीसे यह अपेक्षा क्यों है
कि हमेशा छंदों की लय में लिखूँ!
क्या यह अच्छा नहीं होगा
कि सतत किसी अकल्पित परिधि में घूमूँ,
सदा किसी नये केंद्रबिंदु पर दिखूँ!