चन्दन की कलम शहद में डुबो-डुबोकर
- अंतिम प्रणाम लो हे अनंत पथ के यात्री !
- किसने पिघले हुए अनल को पीने का हठ ठाना !
- जन-मन नायक! हे जन-गायक! जन-जीवन ध्रुवतारा
- जब अपनी तुलना करता हूँ मैं कवि तुलसीदास से
- जय हो, हे हिन्दी उद्धारक!
- निर्वेद
- पूरब-पश्चिम दोनों दिशि से उमड़ रही है आग
- पराधीनता-निशा कट गयी
- बहुत माना हठी था, तेज था, तर्रार था नेहरू
- रामनवमी