एक चन्द्रबिम्ब ठहरा हुआ
- अकेले गाते रहने में गायक को
- अप्राप्ति की अनुभूति में भी
- उडती हुई गुलाब की कुछ पँखुरियों को
- एक लहर तीर से लिपट कर बोली
- ओ निष्ठुर !
- क्या फूल को मुट्ठी में लेकर तबतक मसलते जाना है
- क्या मैंने तुम्हारे नाम को
- कितना अच्छा होता
- चाँद को झील के बाहर निकलना चाहिए
- चिड़िया की चहक ने चौंका दिया
- चुक जाने की समस्या तो
- जब तक नंगे पावों
- जब समय था
- जब सृष्टि की रचना करते-करते
- जितने फूल पूजा में चढ़ाये जाते हैं
- जो लहर तट को छुए बिना लौट जाती है
- तुम्हारी सुगंध से भीनी साँसें
- तुम्हारे उपालम्भों के उत्तर में
- तुम्हारे जूड़े से गिरा हुआ लाल गुलाब
- तुम्हारे प्रति अपने ह्रदय की निर्मल भावना
- तेरी दी हुई माला
- दर्द यहाँ भी है
- दुहराने से नहीं ऊबना है
- न तो मैं तेरी रूप माधुरी
- नारी एक ऐसा गीत है
- प्रवृतियाँ हमारी बाधक क्यों हैं
- प्रेम, भोग में नहीं
- प्रेम वह हीरा है
- फूल अपने रंग-रूप पर कितना भी गुमान करे
- बर्फ की सफेद चादर के नीचे भी
- भले ही मेरी अंजलि का फूल
- भाषा में क्या रखा है
- मन में एक मीठा दर्द उठता है
- माना कि आज
- माना कि हम एक नहीं हो सकते
- मुस्कान ही मुस्कान,
- मेरे आँगन में एक शिशु
- मेरी बाँसुरी से अब जो स्वर फूटते हैं
- मैं कल्पनाओं में जी रहा हूँ
- मैंने प्रेम के पथ पर तो पाँव दे दिए
- मैंने हजारों रँग के धागे
- मैं पीड़ा को ही प्रसाद समझ लूँगा
- मैं बाज सा आकाश पर उड़ जाना
- यह कैसी विडंबना है
- यह जानकर क्या होगा
- यह सही है
- यह सोचकर
- रातभर वर्षा हुई है
- रूप देखा तो जा सकता है
- रूप वही है
- लगता है हमारे बीच
- वे पद चिन्ह मिट चुके हैं
- वैराग्य के सभी सूत्र मैंने घोट डाले
- विदा के समय
- विदा के अंतिम दिन
- शक्ति, समृद्धि और कीर्ति
- सारी रात आरकेस्ट्रा की धुन पर
- हमने नायक-नायिका का अभिनय
- हमें साथ-साथ रहते कितने दिन हुए !
- हवा मंद-मंद बहती है