गुलाब ग्रन्थावली (परिवर्धित संस्करण) खंड तीन सीपी-रचित रेत मेरे भारत, मेरे स्वदेश रूप की धूप सौ गुलाब खिले पँखुरियाँ गुलाबकी कुछ और गुलाब हर सुबह एक ताज़ा गुलाब ग़ज़ल, गीत, दोहा, संकलन, सॉनेट Share on: Twitter Pinterest Facebook Google+