ज्यों की त्यों धर दीनी चदरिया
- अब तो साध यही है मन की
- गये सभी जो आये
- छोड़ दे उस पर निर्णय सारा
- झेलना ही होगा संताप
- नहीं भी जग तेरी जय बोले
- प्रभु का यह प्रसाद है, भाई !
- भाग्य से माना कुछ न चली
- भूल करके भी हूँ बड़भागी
- मन रे ! क्यों तू सोच करे !
- मंगलाचरण
- मैं रहूँ न जब तुम पर है, झुके न स्वामी !
- मोह यदि नहीं स्वयं का छूटे
- यह जग जगपति का सपना है
- याद कर उस मोहक सपने को
- लगन सच्ची यदि तेरे मन की
- विष की व्यथा भुला दे मन से