कागज की नाव
- अहं का मोह न छोडूँ, स्वामी
- आयु क्या निष्फल ही बीती है !
- कागज़ की नाव
- कोई आये या मत आये
- कोई झरना इस मरुथल में फूटेगा
- कोई मत पढ़े, मत सुने
- क्या परिचय दूँ अपना !
- क्यों वह मेरे निकट न आया !
- क्षीण हो रही काव्य की धारा
- भले ही चाँद_ग़ज़ल
- चल खुसरो
- चुरा चित् अब कैसे वह भागे !
- छूटते जाते पथ पर संगी
- तुझे यह कैसी चिंता खाये !
- तू क्यों यश के पीछे भागे !
- दुखों के आतप से तप-तपकर
- न छूटे यह श्रद्धा की डोर
- न छोडूँ, पकड़ लिये जो चरण
- नाथ !अच्छी चाकरी बतायी !
- नाव कागज़ की भी है मेरी
- प्रतीक्षा कब तक और करे !
- प्रेम जो अंतर में छाया है
- फुटकर
- मुक्तक
- मुझे तो लड़ते ही जाना है
- मेरी तो बस यही कमाई
- मेरे शब्द
- मैंने जब-जब ठोकर खायी
- मैंने मन की हर जिद मानी
- रची, प्रभु ! यह कैसी फुलवारी
- व्यर्थ भी हो सब लिखा-लिखाया
- शब्दों से ही सब कुछ पाया
- सँभाला तेरी ही करुणा ने