कुमकुम के छींटे
- अपनी चालीसवीं वर्षगाँठ पर
- आईने को क्या हो गया है?
- इसके लिए दुःख मत करना
- उस दिन संध्या के झुरमुट में
- काल की मंजूषा से
- कितने शीघ्र हम आ गये हैं नदी के किनारे !
- खोल दो यह बंद मुट्ठी
- चन्द्रमा पर अवतरण
- प्रेम दूसरों से नहीं होता
- बस तुम मुझे देखती रहना
- भला हूँ या बुरा हूँ
- मुझमें और बिजलियों में
- मेरे तड़पते रहने से
- मृत्युदंड
- रँग, रँग
- शतरंज का बादशाह
- शब्द, शब्द, शब्द
- श्री बेढ़ब बनारसी के निधन पर
- साक्षी,
- सीढ़ियाँ