प्रीत न करियो कोय
कई बार पहले भी उलझी नज़र (दूसरा सर्ग)
तभी डूबते को कहीं दूर पर (तीसरा सर्ग)
न तैयार था कोई जाने को गाँव (तीसरा सर्ग)
‘मिटे हों जो बन-बनके सपने कई (चौथा सर्ग)
‘यही प्यार की थी कहानी मेरी (पाँचवाँ सर्ग)

कई बार पहले भी उलझी नज़र (दूसरा सर्ग)
तभी डूबते को कहीं दूर पर (तीसरा सर्ग)
न तैयार था कोई जाने को गाँव (तीसरा सर्ग)
‘मिटे हों जो बन-बनके सपने कई (चौथा सर्ग)
‘यही प्यार की थी कहानी मेरी (पाँचवाँ सर्ग)