nahin viram liya hai
अपना पता न दे
पर क्यों, ओ निष्ठुर! इंगित से पथ भी बता न दे !
वाणी का वर दे कुछ गा लूँ
प्रेम भक्ति के सुर अपना लूँ
जो भी स्नेह अहेतुक पा लूँ
अहमन्यता न दे
जीवन रहे काव्य-रस भोगी
मिलें सदा सज्जन सहयोगी
तेरे घर पुकार जब होगी
आना व्यथा न दे
अपना पता न दे
पर क्यों, ओ निष्ठुर! इंगित से पथ भी बता न दे !