नहीं विराम लिया है_Nahin Viram Liya Hai
- अपना पता न दे
- आगे बढ़ जा इस जीवन से
- इन आँखों के आगे
- कहाँ इस रथ पर आड़ लगाऊँ
- कहाँ है, ओ अनंत के वासी
- कहीं भी हो मथुरा या काशी
- कालघन का गर्जन सुन घोर
- कैसे तेरी करूँ बड़ाई !
- क्यों तू मरे व्यर्थ चिंता से !
- तुमने वंशी तो दी कर में
- तूने अच्छे खेल खिलाये
- तूने मेरी आन निभायी
- तूने मेरी सुध न न भुलाई
- तेरे सुर में ही बोलेगी
- देख नर्तित मयूर-मन मेरा
- देख ली तेरी यह फुलवारी
- न तू सुध लेता यदि इस जन की
- नाथ! कैसे अपनाओगे !
- नाथ ! जब विदा कराओगे
- प्रभो ! इस घर में आग लगी है
- प्रीति यदि तुझमें सदा अटल हो
- प्रेम का बंधन कभी न टूटे
- प्रेम का महासिंधु लहराता
- बता दे, क्या लूँ मैं क्या छोडूँ
- बाँसुरी बजती है अंतर में
- मन तू दुःख से क्यों घबराये
- मलिनता है मेरे ही मन की
- मेरे प्राण प्रेम के प्यासे
- राम में नहीं, काम में रमता
- सँभलना, अब है मेरी बारी
- सच-सच कहना, ओ नभवासी !
- सोचा भी, कब तक है तेरी
- हम तो तेरे हैं दीवाने
- सुआ तो उड़ता ही जायेगा
- नहीं विराम लिया है