geet vrindavan
भीड़ में राधा पड़ी दिखाई
ज्यों घनमाला चीर दूज की चंद्रकला मुस्कायी
जागीं शत-शत सुधियाँ मन में
पहुँच गये हरि वृंदावन में
बना प्रभास तीर्थ वह क्षण में
यमुना-तर सुखदायी
याद आ गयीं पिछली बातें
मधु से भरी चाँदनी रातें
वे करील-कुंजों की पातें
वंशी जहाँ बजायी
देख हाल वृषभानुलली का
तन भूषण न माँग में टीका
मुँह का रंग पड़ गया फीका
व्याकुल बने कन्हाई
भीड़ में राधा पड़ी दिखाई
ज्यों घनमाला चीर दूज की चंद्रकला मुस्कायी