kasturi kundal base
मैं तो केवल लेखनी उठाता हूँ,
भाँति- भाँति के भाव-बिंदुओं को उतारनेवाला तो तू ही है;
मैं तो केवल तूलिका घुमाता हूँ,
रंग-बिरंगी आकृतियाँ उभारनेवाला तो तू ही है।
मेरी रचनाओं में मेरा क्या है,
जो कुछ है, तेरी ही कृपा का फल है!
कागज पर छपे शब्द तो निर्जीव उपकरण मात्र हैं,
मेंरे पास तो एक तेरे प्रेम का ही बल है!