guliver ki chauthi yatra
वे दिन देखे, ये भी देख
देखे बहुत दृश्य यौवन के, देख बुढ़ापे के भी लेख
तस्कर छवि का, दूत मरण का
है यह शेष चरण जीवन का
लाख करे रक्षण तू तन का
अब तेरी औषधि है एक
देख कालगति, पर क्यों भय हो!
इसने बख्शा नहीं किसी को
दिये महारथियों ने भी तो
इसके सम्मुख घुटने टेक
सोच न कर यदि यह दिन आया
कुछ तो वर यह भी है लाया
क्या, यदि शिथिल हुई है काया
खुले शक्ति के स्रोत अनेक
वे दिन देखे, ये भी देख
देखे बहुत दृश्य यौवन के, देख बुढ़ापे के भी लेख