boonde jo moti ban gayee
तुम्हारे साथ बिताये हुए क्षणों की स्मृतियाँ,
शो-केस में टँगी रंगीन तितलियों-सी
मेरी चेतना में जड़ गयी हैं,
जाड़े की धूप में लहरों पर लोटती मछलियों-सी
वे मुस्कुराती हुई पारदर्शी आँखें
मेरी आँखों में तिरछी होकर अड़ गयी हैं;
वह चंदनगंधी दूधिया हँसी,
फिसलन भरी राहों में हाथ थामने की
आतुरता-सी वह निकटता,
मैं भुला नहीं पाता हूँ,
बीच धारा में डूबते जलयान-सा
तीर पर पहुँचने के लिये
काँप-काँपकर रह जाता हूँ;
माना कि हम एक नहीं हो सकते
पर किसी प्रेम-गीत की टेक-से ही
बीच-बीच में मिल तो सकते हैं,
अलग-अलग डालों पर टँगे फूलों-से ही,
एक दूसरे के लिए खिल तो सकते हैं।