boonde jo moti ban gayee
दीर्घ अभ्यास आवश्यक है
किसी भी कला में निष्णात होने के लिए,
कला तो कला है, चाहे वह गाने के लिए हो चाहे रोने के लिए !
कितने अंतराल से सिसकना है,
कब, कहाँ, किस तरह सुबकना है,
फैली हुई हथेलियों में किस प्रकार
सिर को झुकाते हुए ढँकना है,
यह सब कला है
और कला सीखनी होती है,
तभी तो कवियों ने कहा है
“प्रेमिका के आँसू की हर बूँद मोती है।’