vyakti ban kar aa
फूल को इसका दुख नहीं
कि राजमुकुट सजानेवालों ने उसका तिरस्कार किया है
यह क्या कम है
कि किसी ग्रामवधू ने उसे अपने जूड़े में टांग लिया है!
उसका खिलना व्यर्थ नहीं है
यदि पल-दो-पल भी उसने किसीका रूप सँवार दिया है।
फूल को इसका दुख नहीं
कि राजमुकुट सजानेवालों ने उसका तिरस्कार किया है
यह क्या कम है
कि किसी ग्रामवधू ने उसे अपने जूड़े में टांग लिया है!
उसका खिलना व्यर्थ नहीं है
यदि पल-दो-पल भी उसने किसीका रूप सँवार दिया है।