vyakti ban kar aa
कोई भी आरंभ नया नहीं है,
नये जैसा लगता है,
और वह विराट् बार-बार
हमें अपनी मुस्कानों से ठगता है।
सच कहें तो कोई भी काव्य अनसुना, अनलिखा नहीं है,
बात इतनी ही है
कि वह अभी हमारे अनुभव में दिखा नहीं है।
कोई भी आरंभ नया नहीं है,
नये जैसा लगता है,
और वह विराट् बार-बार
हमें अपनी मुस्कानों से ठगता है।
सच कहें तो कोई भी काव्य अनसुना, अनलिखा नहीं है,
बात इतनी ही है
कि वह अभी हमारे अनुभव में दिखा नहीं है।