bhakti ganga
बाँधकर नियमों से जग सारा
क्या बँध गया, नियामक! तू भी आप उन्हीं के द्वारा?
कार्य सभी बाँधे कारण से
सृष्टि प्रलय से, जन्म मरण से
चला काल का चक्र जतन से
मुड़ देखा न दुबारा?
चित्र बन गया आप, चितेरे?
तेरा जाल तुझे ही घेरे?
देख-देखकर भी दुःख मेरे
दे पाता न सहारा?
सुलभ मुझे जो शक्ति क्षमा की
चिर-स्वंत्रता चेतनता की
क्या न रही वह तुझमें बाकी!
अपने से ही हारा?
बाँधकर नियमों से जग सारा
क्या बँध गया, नियामक! तू भी आप उन्हीं के द्वारा?