anbindhe moti
दो चित्र
(1)
याद में रोयेंगे जलचर-बंधु; सरोरुह सूखेंगे शोक के मारे
पाले के मारे-से पादप होंगे, खड़े जो अभी निज बाहें पसारे
शीश धुनेंगे मयूर-सखा, तट बैठ चकोर चुगेंगे अँगारे
छोड़के मानसरोवर को, उड़ जाओगे जिस दिन हंस हमारे
(2)
पानी नयी ही तरंग में होगा, सरोरुह होंगे नयी छवि घारे
पादप होंगे पराये सभी, जो सजा रहे फूलों से आज किनारे
याद करेगा न कोई तुम्हें यहाँ, प्यार के वादे ये झूठे हैं सारे
छोड़के मानसरोवर को, उड़ जाओगे जिस दिन हंस हमारे
1940