anbindhe moti
परिचय मेरा नील गगन से
कभी कौंध उठती है बिजली
कभी उमड़ती नीरद-अवली
मैं देखा करता हूँ इसको जलनभरे मन, सजल नयन से
भाग्य अकारण रूठा जिनका
उनका यह साथी निशि-दिन का
कौन अन्यथा करता बातें मेरे इस एकाकी मन से !
कम न मुझे भी इसकी चिंता
यह रोता, मैं आँसू गिनता
रात भीग जाती है अक्सर दोनों के सम्मिलित रुदन से
परिचय मेरा नील गगन से
1940