har subah ek taza gulab
कुछ और चाँद के ढलते सँवर गयी है रात
हमारे प्यार की ख़ुशबू से भर गयी है रात
कोई तो और भी महफ़िल वहाँ सजी होगी
उठाके चाँद-सितारे जिधर गयी है रात
ये शोख़ियाँ, ये अदायें कहाँ थीं दिन के वक़्त !
कुछ और आप पर जादू-सा कर गयी है रात
हथेलियों में हमारी है चाँद पूनम का
किसीकी शोख़ लटों में उतर गयी है रात
मिला न कोई महक दिल की तौलनेवाला
गुलाब ! आपकी यों ही गुज़र गयी है रात