har subah ek taza gulab
प्यार दिल में है अगर, प्यार से दो बात भी हो
यों न उमड़ा करें बादल, कभी बरसात भी हो
उनसे परदा है जिन्हें दिल की बात कहनी है
कुछ हो ऐसा कि ये परदा भी रहे, बात भी हो
फिर कहाँ होंगी ये रातें, ये शोख़ियाँ दिल की !
क्या कहेंगे हम उन्हें फिर, जो मुलाक़ात भी हो !
कौन रखता यहाँ प्यार के वादों का हिसाब !
आप नाहक़ हैं परेशान, कोई बात भी हो !
यों तो ख़ुशबू का ख़जाना है पँखुरियों में, गुलाब !
क्या पता, इनमें तेरे प्यार की सौग़ात भी हो !