kuchh aur gulab
ये प्यार के वादे क्या सुनिए, यह दिल की कहानी क्या कहिए !
कहना है हरेक तड़पन से जिसे, वह बात ज़बानी क्या कहिए !
आने की ख़बर सुनकर जिसकी, धड़कन है बढ़ी जाती दिल की
है आज उसी बेदर्द को यह नाड़ी भी दिखानी, क्या कहिए !
ऐसे तो किसीकी राह में हम, ये हार सजाये बैठे हैं
उड़ती ही चली जाती है मगर फूलों की जवानी, क्या कहिए !
दिल प्यार की आँच में तपता जब, मोती है चमकता आँखों में
इस बूँद को आँसू की भी कोई कहता है जो पानी, क्या कहिए !
ऐसे तो, ‘गुलाब’ उन रातों की, हर बात लिखी है सीने पर
पर आख़िरी प्यार की घड़ियों में आँसू की रवानी, क्या कहिए !