sau gulab khile
कोई हमें सताये, सताता ही जाये तो
हम क्या करें जो मौत भी आकर न आये तो !
झूठा है प्यार, इनमें जो रंगत नहीं आयी
कोई हमारी आँखों से आँखें मिलाये तो !
अब और कुछ बने न बने, ख़ुश हैं हम कि आज
बातें हमारी सुनके ही वे मुस्कुराये तो
माना कि आज रूप ने परदा उठा दिया
हम क्या करें, नज़र ही अगर उठ न पाये तो !
यादों पे कल हमारी चढ़ायेंगे फूल वे
उनकी बला से जाये अगर जान जाये तो
देखें ग़ज़ल में रंग जमाता है यहाँ कौन
कोई ज़रा गुलाब की ख़ुशबू उड़ाये तो !