sau gulab khile

दिल के लुट जाने का ग़म कुछ भी नहीं !
आप ही सब कुछ हैं, हम कुछ भी नहीं !

मुस्कुरा उठती थीं हमको देखकर
आज उन भौंहों में ख़म कुछ भी नहीं !

मौत का डर प्यार में क्यों हो हमें !
ज़िंदगी मरने से कम कुछ भी नहीं

हम समझते थे कि सब कुछ हैं हमीं
मर के यह निकला कि हम कुछ भी नहीं

जा रहे मुँह फेरकर भौंरे, गुलाब !
आपकी ख़ुशबू में दम कुछ भी नहीं !