meri urdu ghazalen
कहीं लालों-गुहर होगी, कहीं इल्मो-हुनर होगी
जमाना ख़ाक चूमेगा, जहाँ तेरी नज़र होगी
अभी तो डूबता है दिल शबे-ग़म के अँधेरों में
न जाने सुबह उम्मीदों की कब होगी, किधर होगी
जरा जी भरके यह मासूम सूरत देख लेने दो
कि तुमसे अब नहीं मिलने की सूरत उम्र भर होगी
हम अपनी आरज़ूओं की शमा पर आप जलते हैं
नहीं तो लाख सर मारे ये दुनिया, बेअसर होगी
शमा का चूमकर मुँह, पूछा परवाने ने, जाने-जाँ!
कभी हमको भी जलने की इजाज़त रात भर होगी?
बहुत मैं था बचाये दिल की किश्ती बहरे-हस्ती में,
नहीं समझा था, साहिल पर भी तूफाँ की नज़र होगी