bhakti ganga

अब यह नौका फँसी भँवर में
इसे डुबा या पार लगा, हैं डाँड़े तेरे कर में

बल खोया, विश्वास खो गया
आशा गयी, प्रकाश खो गया
आकर तट के पास खो गया

मैं अनजाने डर में

पर क्या ह्रदय अनाथ रहेगा!
तू तो हरदम साथ रहेगा
तेरा ही तो हाथ रहेगा

सिर पर, शेष प्रहर में

अब यह नौका फँसी भँवर में
इसे डुबा या पार लगा, हैं डाँड़े तेरे कर में