boonde jo moti ban gayee
जब मुझे जाना ही है तो फिर हँसकर बिदा करो,
मन क्यों अनमना करो!
मुझसे पहले भी तो कितने ही लोग यहाँ आये थे,
क्या वे समय हो जाने पर और ठहर पाये थे!
मेरी यात्रा सकुशल हो बस यही प्रार्थना करो।
तुम्हारे आँसुओं से मेरी राह गीली हो गयी है
संकल्पों की कसी हुई डोर ढीली हो गयी है
कुछ देर तो इन बरसती हुई आँखों को मना करो!
राही तो प्रतिपल नये मिलते हैं, बिछुड़ते हैं,
दुनिया के रिश्ते यों ही टूटते हैं, जुड़ते हैं,
जिसका कोई विकल्प नहीं, उसका साहस से सामना करो।
जब मुझे जाना ही है तो फिर हँसकर बिदा करो।
मन क्यों अनमना करो