boonde jo moti ban gayee
यदि तू कभी इस अरण्य में आयेगा,
तो यहाँ हर पेड़ के तने पर
अपना ही नाम खुदा हुआ पायेगा।
डाल पर बैठी हुई मैना भी
रो- रोकर तुझे बुलायेगी,
और उड़-उड़कर तुझे वे टीले
और घाटियाँ दिखायेगी
जहाँ मैं थका-हारा सो जाता था,
क्षण भर को तेरी कल्पनाओं में खो जाता था।
यद्यपि वायु-लहरियों से मेरे पद-चिह्न मिट चुके होंगे,
किन्तु तुझे वे रक्त-रंजित काँटें अवश्य दिखाई देंगे
जो मेरी पीड़ा के साक्षी रहे हैं,
वे नि:शब्द शिलायें अवश्य मिलेंगी
जिन पर मेरी आँखों के आँसू बहे हैं।