boonde jo moti ban gayee
विषकन्या का परिचय यही है
कि वह सदा स्वर्गों से धरती पर उतरती रही है;
उसके ओठों पर शिशु की मुस्कान
और नयनों में कुतूहल की रेखा है,
जब भी किसीने प्यार से देखा है
उसने ग्रीवा नीची कर ली है,
काँपती उँगलियों की पोर से
आँचल की कोर धर ली है;
कली खिलखिलाकर फूल होती रही
और विषकन्या को पहचानने में सदा भूल होती रही।