diya jag ko tujhse jo paya

खेल है यह किसी जादूगर का, ज़ोर इसपर हमारा नहीं है
है सहारा यहाँ बस उसीका, और कोई सहारा नहीं है

कुछ भी जाना तो हमने ये जाना, रात है एक ही बस हमारी
जो मिले प्यार के आज साथी, उनसे मिलना दुबारा नहीं है

है न मंजिल कभी आख़िरी यह, है पड़ाव एक अगले सफ़र का
काफ़ले लाख छूटा करें पर, दिल कभी बेसहारा नहीं है

अब न वे फूल हैं, वे बहारें, तितलियाँ हैं न भौंरों की पाँतें
तुम खिले हो गुलाब अब भी लेकिन, बाग़ वह प्यारा-प्यारा नहीं है