diya jag ko tujhse jo paya
गीत गा-गाकर तुझे रिझाऊँ
वर दे, तेरी राजसभा में मैं कवि बनकर आऊँ
कुछ हैं बने राज्य-संचालक
कुछ हैं अर्थ, न्याय के पालक
मैं तो तेरा भोला बालक
गाकर ही सुख पाऊँ
कुछ कहते मुझको दीवाना
कुछ को रंच न रुचता गाना
कुछ उठ जाते बना बहाना
जब भी राग उठाऊँ
पर जग का मत मुझे न दाहे
यदि तू सुनकर तनिक सराहे
बस इतना ही सुख मन चाहे
नित नव सुर में गाऊँ
गीत गा-गाकर तुझे रिझाऊँ
वर दे, तेरी राजसभा में मैं कवि बनकर आऊँ