diya jag ko tujhse jo paya

संबल मुझे क्षमा का तेरी
तेरे नियम तोड़ते जिसको तनिक न लग पायेगी देरी

‘जैसी करनी वैसी भरनी’
हो अलंघ्य भी विधि-वैतरणी
पार करा देगी वह तरणी

तूने दया-दृष्टि यदि फेरी

नियम अकाट्य बने जो तेरे
काम न कुछ आयेंगे मेरे
जब यमदूत दंडहित घेरे

वही एक सुधि लेगी मेरी

‘क्या होगा आगे’, न विचारा
प्रभु! मैं अपने मन से हारा
है तेरा ही एक सहारा

जब आयेगी रात अँधेरी

संबल मुझे क्षमा का तेरी
तेरे नियम तोड़ते जिसको तनिक न लग पायेगी देरी