hum to gaa kar mukt huye

अब यह खेल आप ही खेलो
मेरे जीवन की बाजी अपने हाथों में ले लो

पहले भी तो यही हुआ है
मैंने पासा मात्र छुआ है
तुम्हीं आज से हार-जीत की कुल पीड़ायें झेलो

किसी तरह अब पाँव टिका है
छूट सकी मरू-मरीचिका है
मुक्त हुआ जो, अंधकूप में फिर से उसे न ठेलो

माना मुझ पर कृपा तुम्हारी
पर मेरी भी है लाचारी
रिसते प्याले में न टिकेगी, कितनी क्यों न उड़ेलो

अब यह खेल आप ही खेलो
मेरे जीवन की बाजी अपने हाथों में ले लो