kitne jivan kitni baar
ऋतु वसंत की आयी
नव प्रसून फूले, तरुओं ने नव हरियाली पायी
पाकर फिर से रूप सलोना
महक उठा वन का हर कोना
करती जैसे जादू-टोना
फिरी नवल पुरवाई
लज्जा के अवगुंठन सरके
नयनों में नूतन रस भरके
गले लगी लतिका तरुवर के
भरती मृदु अँगड़ाई
ऋतु वसंत की आयी
नव प्रसून फूले, तरुओं ने नव हरियाली पायी