kitne jivan kitni baar

तूने जो बोये सो काटे
मन रे! अब तेरी व्याकुलता कौन दूसरा बाँटे!

कर्मों की स्वतंत्रता लेकर
तू आया था कभी धरा पर
अपनी रूचि के बीज मनोहर

थे तूने ही छाँटे

जब वे बीज उगे, लहराये
क्यों तुझको अब रोना आये!
भर जो किये, दिये सो पाये

क्यों दुखते हैं काँटे!

तूने जो बोये सो काटे
मन रे! अब तेरी व्याकुलता कौन दूसरा बाँटे!