kitne jivan kitni baar

मैंने गीत लिखे जिस सुर में
सफल तभी यदि गूँज उठे वैसी ही तेरे उर में

मत कोई इनको अपनाये
गायक नहीं सभा में गाये
यही बहुत, पढ़कर सुख पाये

   तू निज अंतःपुर में

कच-सुरभित, कपोल से घर्षित
कज्जल अश्रु-खचित, भू-लुंठित
पृष्ठ धन्य मेरे यदि झंकृत

ये तेरे नूपुर में

मैंने गीत लिखे जिस सुर में
सफल तभी यदि गूँज उठे वैसी ही तेरे उर में