kitne jivan kitni baar

मैंने तुझको ही गाया है
मेरे शब्द-शब्द में झिलमिल तेरी ही छाया है

जब भी मैंने खीची रेखा
पास खड़े तुझको भी देखा
मेरे जीवन का यह लेखा

तूने लिखवाया है

इसका हर अक्षर है अक्षर
मेरे स्वर में है तेरा स्वर
प्रतिपल शत-शत रूप बदलकर

तू ही तो आया है

यद्यपि मैं था चिर-विद्रोही
जड़ता ने थी गति-मति मोही
पर तूने इस रजकण को ही

नभ पर पहुँचाया है

मैंने तुझको ही गाया है
मेरे शब्द-शब्द में झिलमिल तेरी ही छाया है