kitne jivan kitni baar

मैंने बरबस ओंठ सिये थे
और अश्रु भी आँखों के आँखों में आप पिये थे

जान रहा था कभी हमारा अब फिर मिलन न होगा
याद रहेगा केवल वह सुख साथ-साथ जो भोगा

टिक न सकेंगे चरण-चिह्न जो पथ पर आँक दिये थे

बहते हुए फूल हम पल-भर साथ हुए ज्यों जल में
और लुप्त हो गये सदा को अगम सिंधु के तल में

लहरों का आँचल पकड़े जो पल-भर साथ जिये थे

मैंने बरबस ओंठ सिये थे
और अश्रु भी आँखों के आँखों में आप पिये थे