kitne jivan kitni baar
यद्यपि यह प्रभात की बेला
फिर भी लगा हुआ है मन में सपनों का ही मेला
काल-प्रवाह सतत बहता है
क्षण-क्षण कृश कगार ढहता है
पर मन में हँसता रहता है
चंद्रबिब अलबेला
बाँध दिया था वेग ज्वार का
विरह-मिलन का, जीत-हार का
मैंने तो कुल खेल प्यार का
मन-ही-मन था खेला
यद्यपि यह प्रभात की वेला
फिर भी लगा हुआ है मन में सपनों का ही मेला