nao sindhu mein chhodi

समस्या बड़ी कठिन अब आयी
मैनें निज से ही लड़ने की आज शपथ है खायी

बाहर के रिपु को तो क्षण में
धूल चटा सकता हूँ रण में
पर उसका क्या करूँ, भवन में

     जिसने सेंध लगायी

साम-दाम-भय-भेद दिखाकर
लेना होगा उसे दाँव पर
बल से तो बढ़ रही निरंतर

उसकी शक्ति, ढिठाई

उसे प्रेम से बस में करके
करना होगा बाहर घर के
जय पाऊँ मैं बिना समर के

        इसमें ही चतुराई

समस्या बड़ी कठिन अब आयी
मैनें निज से ही लड़ने की आज शपथ है खायी