nupur bandhe charan

स्मिति से रंजित, अंजित, चपल नयन
मिलन का चाव ले
ज्यों सुधांशु में करते सुधा-चयन
मधुप दो साँवले

जड़े हुए लज्जा के ताले से
भूमि खुरचते झुक मतवाले-से
तिर्यक-उर, ज्योतिश्रक डाले-से
बंक, विशाल, विशद, ज्यों बँधे अयन
तुरंग उतावले

भौंह-कमान खिँची कानों तक बेगुन
पल-तूणीरों से चितवन-शर चुन-चुन
करता चंचल चोट चतुर्दिक्‌ अकरुण
निकला ज्यों त्रिभुवन-जय-हेतु मयन
मीन की नाव ले

लाज-ललाई छायी कोनों में
मढ़े हुए-से जादू-टोनों में
दो चकोर बैठे हैं दोनों में
देख चंद्र-मुख करते नहीं शयन
हर्ष से बावले

स्मिति से रंजित, अंजित चपल नयन
मिलन का चाव ले
ज्यों सुधांशु में करते सुधा-चयन
मधुप दो साँवले

1944