pankhuriyan gulab ki

किस अदा से वो मेरे दिल में उतर जाता है !
जीतकर जैसे जुआरी कोई घर आता है

लाख हमसे कोई आँखें चुरा रहा है, मगर
प्यार का रंग निगाहों में उभर आता है

हमने देखा है किनारा किसीके आँचल का
जब कहीं कोई किनारा न नज़र आता है

साथ छूटा है हरेक प्यार के राही का जहाँ
एक इस राह में ऐसा भी शहर आता है

ख़ुद ही माना कि फँसे दौड़के काँटों में गुलाब
कुछ तो इल्ज़ाम मगर आपके सर आता है