sita vanvaas
शिलाखंडों ने राह बनायी
कर जयघोष भालु-कपि सेना सिंधु लाँघकर आयी
विफल हो गये आयुध सारे
बंधु-पुत्र सब स्वर्ग सिधारे
तब रावण ने रिस के मारे
आप कमान उठायी
चल न सकी कोई माया पर
जब श्री राम बढ़े धनु लेकर
गिरा भूमि पर असुर विद्ध-शर
नभ में जय ध्वनि छायी
सुनते ही लवकुश की वाणी
‘अब आगे की सुनें कहानी’
भर आया नयनों में पानी
प्रभु ने दृष्टि झुकायी
शिलाखंडों ने राह बनायी
कर जयघोष भालु-कपि सेना सिंधु लाँधकर आयी