vyakti ban kar aa

जब अगली पंगत बैठेगी
तब भी क्या मैं इसी तरह भुला दिया जाऊँगा!
या आम सहमति से सर्वोच्च आसन पर बिठा दिया जाऊँगा!
पता नहीं, तब मैं कहाँ रहूँगा
फिर भी इतना तो निश्चित है,
इन रेखाओं से
सदा अपने मन की बातें कहूँगा,
सहदय जिनमें रस की फुहार पायेंगे
और समीक्षक गोते पर गोते लगायेंगे।